फिर बाहर निकला ताजमहल के 22 कमरों का जिन्न
पीएमओ के निर्देश पर संस्कृति मंत्रालय करेगा बन्द कमरों की जांच
नई दिल्ली, 03 जुलाई। एक बार फिर से ताजमहल के बंद 22 कमरों को लेकर बहस के आसार बन गए हैं।प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को जांच के आदेश किये हैं।
यह दावा अयोध्या में भाजपा के मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने किया है। डॉ. रजनीश सिंह ने विगत 28 जून को प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर ताजमहल की हकीकत सामने लाने की मांग की थी। उनका कहना है कि इसके बाद पीएमओ ने जांच के लिए आदेश दिये।
डॉ. रजनीश सिंह ने पत्र में कहा था कि ताजमहल के बंद 22 कमरों को खोला जाये। इससे बंद कमरों की हकीकत आम लोगों के सामने आ सके। ताजमहल के अंदर भगवान शंकर का मंदिर या इबादतगाह को लेकर हो रही बात हमेशा के लिए खत्म हो जाये। डॉ. रजनीश ने कहा कि अब इस मामले को प्रधानमंत्री के संज्ञान में लाने के बाद पूरा भरोसा है कि मामले का निस्तारण जल्द होगा।
डॉ. रजनीश ने कहा कि कल से समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि एक जवाब में पुरातत्व विभाग ने उत्तर दिया है कि ताजमहल के तहखाने में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां नहीं हैं। यदि ये जवाब सत्य है तो पुरातत्व विभाग ने ही एक जवाब में ये भी कहा है कि ताजमहल को शाहजहां ने बनवाया था, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। क्या ये भी सच है?
उन्होंने कहा कि ताजमहल के बारे में जिस प्रकार से लगातार पुरातत्व विभाग द्वारा अलग-अलग जवाब दिया जा रहा है। इससे सभी के मन में आशंका पैदा होती है कि आखिर किस राज को छुपाने का कार्य पुरातत्व विभाग कर रहा है।
डॉ. रजनीश ने कहा कि मई महीने में उच्च न्यायालय लखनऊ में याचिका दायर कर एएसआई को तथ्यों का पता लगाने के लिए 22 कमरों को खोलने का आग्रह किया गया था। इसको न्यायालय ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा था कि यह न्यायालय के लिए नहीं है कि वह यह निर्देश दे कि किस विषय पर शोध या अध्ययन करने की आवश्यकता है। इसे इतिहासकारों पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
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