पत्रकारों की अविस्मरणीय, अनूठी और शिक्षाप्रद यात्रा..

सांसद राजकुमार चाहर ने कराया प्रधानमंत्री संग्रहालय का दौरा
बृहस्पतिवार, 09 जून, 2022 की सुबह हम पत्रकारों के लिये विशेष थी। सब कुछ पहले से तय हो चुका था, इसलिये सभी तैयारी में लगे थे। टेम्पो ट्रेवलर सुबह आठ बजे बालूगंज ट्रेवल एजेंसी से निकल कर सबसे पहले वरिष्ठ साथी डॉ. गिरिजाशंकर शर्मा को लेने पहुंचा। उसके बाद नाई की मंडी, राजामंडी, आवास विकास होता हुआ शास्त्रीपुरम आ गया। तब तक टेम्पो ट्रेवलर में गिरिजा भाई साहब के अलावा बुजुर्ग फोटो जर्नलिस्ट असलम सलीमी जी, बड़े भाई राजीव सक्सेना जी, डॉ. सुरेंद्र सिंह जी, शंकरदेव तिवारी जी, सुनयन शर्मा जी बैठ चुके थे। शास्त्रीपुरम से सुभाष रावत जी, रमेश राय जी, भानुप्रताप सिंह और मैं (संजय तिवारी) सवार हुए, फिर सभी चल पड़े देश की राजधानी दिल्ली की ओर।
कैसे बना कार्यक्रम
यहां यह लिख देना समीचीन होगा कि यह यात्रा फतेहपुर सीकरी से साँसद व भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर के निमंत्रण पर हुई। दरअसल, दिल्ली के तीनमूर्ति भवन को केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री संग्रहालय के रूप में विकसित किये जाने के बाद सांसद चाहर पिछले महीनों में उसे देखने गए थे और वहाँ आधुनिक तकनीक का समावेश करते हुए इतिहास को संजो कर रखने के तरीकों से काफी प्रभावित हुए थे। पिछले दिनों आगरा में वरिष्ठ पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने प्रधानमंत्री संग्रहालय की खूबियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को भी इस स्थल का अवलोकन करना चाहिए। सभी की सहमति से उन्होंने नौ जून की तिथि भी तय कर दी। यही नहीं, उन्होंने तुरंत ही यात्रा के लिए वाहन, भोजन आदि का प्रबंध भी कर दिया।
यात्रा चली दिल्ली की ओर
वैसे तो जाना अधिक लोगों को था, लेकिन व्यक्तिगत कारणों से कुछ लोग नहीं जा पाये। कुल दस साथियों की टोली रास्ते भर हंसी-ठिठोली करती दिल्ली की ओर चल पड़ी। एक्सप्रेस-वे पर चढ़ने से पहले टेम्पो-ट्रेवलर के चालक ने एक पहिया बदलने में आधा घण्टे का समय और खर्च कर दिया। इसप्रकार सुबह करीब 10.20 बजे हमारी गाड़ी एक्सप्रेस-वे पर प्रवेश कर गई।
सांसद चाहर ने भगवान टाकीज चौराहे पर ही स्नेक्स, फल, कोल्डड्रिंक, फ्रूटी, माजा व पानी की पर्याप्त बोतलों को गाड़ी में रखवा दिया था। हमारे साथी भानुप्रताप सभी व्यवस्थाओं में समन्वय कर रहे थे।
खूब सुनाये गये संस्मरण
एक्सप्रेस-वे पर पहुँचने के साथ ही गाड़ी में ही नाश्ते का दौर शुरू हो गया। ड्राइवर ने एक आइस बॉक्स दे दिया। जिसमें सभी पानी की बोतलें लौटने तक ठंडी बनी रहीं। टेम्पो ट्रेवलर 80 किमी से तेज रफ्तार नहीं ले सकता था, उसमें स्पीड गवर्नर जो लगा था। सभी को इस पर थोड़ी कोफ्त हुई, लेकिन जल्द सभी सहज हो गए। चर्चाएं शुरू हुईं तो एक-एक कर सभी ने पत्रकारिता के पुराने दौर को शिद्दत से याद किया। एक से बढ़ कर एक रोचक संस्मरण सुनाये गये। डॉ गिरिजाशंकर जी ने अपने रिपोर्टिंग काल की यादें ताजा कीं तो सुनयन ने बताया कि उन्होंने किसप्रकार खबर को एक्सक्लुसिव बनाने का तरीका गिरिजा शंकर जी से सीखा। राजीव भाई ने ऐतिहासिक महत्व की चर्चा की तो शंकरदेव तिवारी ने अपनी बीहड़ की रिपोर्टिंग की याद ताजा की। असलम भाई, रमेश राय, सुरेंद्र सिंह, भानु भी संस्मरण सुनाने में पीछे नहीं रहे। सुभाष रावत जी ने भी बेलौस खिलंदड़ अंदाज में पुरानी बातों से सभी को गुदगुदाया। तमाम यादें ताजा करने में मैंने भी साथ दिया। सफर इसी तरह जारी रहा। 
वेस्टर्न कोर्ट में लंच के बाद संग्रहालय की ओर
यात्रा में सांसद और उनके सहायक लगातार फोन पर हम लोगों से जुड़े रहे। दोपहर ढाई बजे सभी लोग दिल्ली में जनपथ पर स्थित वेस्टर्न कोर्ट पहुंच गए। यहां भानुप्रताप के मित्र अमित अग्रवाल भी हमारी यात्रा में सहभागी हो गये। वेस्टर्न कोर्ट में सांसद के सहायकों ने हमारी अगवानी की और सभी को भोजन कक्ष में ले जाकर स्वादिष्ट भोजन करवाया। भोजन के उपरांत सभी लोग सांसद के सहायक की अगुआई में तीनमूर्ति भवन स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय की ओर चल दिए।
ढाई-पौने तीन घण्टे तक निहारा संग्रहालय
सभी लोग करीब सवा तीन बजे संग्रहालय पहुंच गए थे और शाम छह बजे तक वहां रहे। असलम भाई अपने कैमरे के साथ आये थे, उन्होंने संग्रहालय में पहुँचते ही सभी दृश्यों को कैद करना शुरू कर दिया। सभी को स्वागत पटल पर मोबाइल फोन जैसा एक डिवाइस ईयर-फोन लीड के साथ दिया गया। इस डिवाइस की खासियत थी कि जिस कक्ष में आप पहुंचेंगे वह उस कक्ष और वहाँ संग्रहित वस्तुओं की विशेषता बताना शुरू कर देता है।
संग्रहालय दो हिस्सों में निर्मित है, एक पुराना तीनमूर्ति भवन और दूसरा नवनिर्मित संग्रहालय। पहले भवन में भूतल और प्रथम तल पर भारतीय संविधान, स्वर्गीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, स्व. इंदिरा गांधी से जुड़ी ऐतिहासिक वस्तुओं का संग्रह है। साथ ही तोशाखाना भी हैं, जिसमें सभी प्रधानमंत्रियों को विदेशों से मिली भेंट, स्मृति चिन्हों को सजाया गया है। नेहरू, इंदिरा के बैठक कक्ष, शयनकक्ष को भी करीने से संजोया गया है।
संग्रहालय के दूसरे हिस्से में देश के सभी प्रधानमंत्रियों के बारे में विस्तार से बताया गया है। उनका जीवन परिचय, देश की बेहतरी के लिए उठाए गए उनके कदमों को दर्जनों स्क्रीन लगाकर समझाने की कोशिश की गई है। लोगों को संग्रहालय देखते हुए बोरियत न हो इसका भी पूरा इंतजाम किया गया है। अतिरिक्त शुल्क देकर नई तकनीक का लुत्फ लिया जा सकता है। हम सभी पत्रकार साथियों के लिए ये सुविधा भी उपलब्ध थी। 
एक ही स्थान पर बैठे रहकर हेलीकॉप्टर की सैर
एक कक्ष में एक बार में पांच लोगों को हेलीकॉप्टरनुमा स्ट्रक्चर में बैठाया गया। यहाँ थ्री-डी सिनेमा की भांति देश के विकास को समझाया गया। यहां की खासियत थी कि आप पूरे समय हेलीकॉप्टर के स्ट्रक्चर में एक ही स्थान पर बैठे रहते हैं, लेकिन साउंड और तकनीक के सहारे यह महसूस कराया जाता है कि आप हेलीकॉप्टर में उड़ते हुए, पर्वतों, नदियों के ऊपर से या फिर देश में बनाई गई टनलों से गुजर रहे हैं।
पसंदीदा प्रधानमंत्री के साथ फोटो
इसके अलावा डिजिटल तकनीक के जरिये आप किसी भी प्रधानमंत्री के साथ चलते हुए या कुर्सी पर बैठ कर फोटो खिंचा सकते हैं। किसी भी प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर वाला शुभकामना पत्र प्राप्त कर सकते हैं। एक स्थान पर दो कुर्सियां थीं, एक पर फोटो खिंचाने वाले को बैठना होता है, दूसरी खाली रखी जाती है। डिजिटल तकनीक से दूसरी कुर्सी पर प्रधानमंत्री की तस्वीर आ जाती है। हमें केवल पसंदीदा प्रधानमंत्री का नाम बताना था। इसके बाद जारी चित्र में यही दिखता है कि हम वास्तव में प्रधानमंत्री के साथ फोटो करा रहे हैं। सभी साथियों ने अपने-अपने पसंदीदा प्रधानमंत्री के साथ फोटो कराये और पत्र प्राप्त किये।
सांसद चाहर ने निवास पर की अगवानी
सांसद चाहर को भी संग्रहालय आना था, लेकिन परिवार में एक दिन पहले मांगलिक कार्य होने के कारण वे रिश्तेदारों से घिरे हुए थे। इसलिये उन्होंने सभी पत्रकारों से उनके नॉर्थ एवेन्यू स्थित निवास पर आने का अनुरोध किया। सांसद के सहायक पत्रकारों को वहां लेकर पहुंचे तो राजकुमार चाहर ने सभी को गले लगाकर अगवानी की और यात्रा के अनुभव जाने। उन्होंने कहा कि उनका सपना है इसी तकनीक पर आधारित एक छोटा संग्रहालय बटेश्वर में भी बनाया जाये। इसके लिये प्रयास शुरू कर दिए हैं। सांसद और पत्रकारों के बीच लगभग एक घण्टे तक हंसी-मजाक और सुझावों का दौर चलता रहा। इस दौरान चाहर ने अपने समधी से भी सभी पत्रकारों का परिचय कराया।
साढ़े सात बजे शुरू हुई आगरा को वापसी
शाम साढ़े सात बजे सभी साथी आगरा वापसी के लिए टेम्पो ट्रेवलर में पुनः सवार हुए। रात्रि भोजन का इंतजाम भी सांसद द्वारा कर दिया गया था। यह सभी जानते हैं कि दिल्ली में शाम के समय सड़कों पर ट्रैफिक बहुत रहता है। उस ट्रैफिक को चीरते हुए हमारी गाड़ी यमुना एक्सप्रेस-वे की ओर बढ़ चली। चार-साढ़े चार घण्टे के सफर में खान-पान के दौर के साथ ही ताज प्रेस क्लब के चुनावों को लेकर भी खूब चर्चा हुई। रात बारह बजे आगरा में प्रवेश के साथ सहयात्रियों का अपने-अपने घरों की ओर प्रस्थान शुरू हुआ। सभी साथी शानदार टूर के लिए सांसद राजकुमार चाहर का आभार व्यक्त करना नहीं भूले। यात्रा की सभी स्मृतियां भाई असलम सलीमी द्वारा खींचे गये चित्रों में सजीव बनी रहेंगी।
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