कुत्ता पालने के लिये पड़ोसी की सहमति जरूरी होगी
सभी पालतू पशु-पक्षियों का कराना होगा पंजीकरण
नगर निगम शीघ्र बनाने जा रहा है नियमावली
आगरा, 23 मई। नगर निगम एक ऐसा नियम लाने जा रहा है, जिसके तहत लोगों को पालतू कुत्ते का पंजीकरण करना होगा और पंजीकरण उसी दशा में होगा जब पड़ोसी अनापत्ति देगा।
नगर निगम अधिनियम में पालतू जानवरों का निगम में पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है, लेकिन शहर में अभी तक यह व्यवस्था लागू नहीं थी। नगरायुक्त निखिल टी. फुंडे ने ड्राफ्ट तैयार कराया है, शीघ्र इसे लागू किया जायेगा। इसके तहत सभी प्रकार के पालतू जानवरों, मवेशियों और पक्षियों का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
फुंडे का कहना है कि शहरों में लोग अलग-अलग जानवर पालते हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या कुत्तों की होती है, लेकिन इनका नगर निगम में पंजीकरण नहीं कराते हैं। आगरा टीटीजेड में आता है। यहां जानवरों को लेकर सतर्कता बरती जाती है। शहर में संचालित तबेलों पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश हैं। इसलिए अब नगर निगम पालतू जानवरों को लेकर अधिनियम के प्रावधानों के आधार पर नियमावली तैयार कर रहा है। प्रदेश के कई शहरों में पालतू जानवरों के पंजीकरण की व्यवस्था पहले से लागू है।
नगरायुक्त का कहना है कि कुत्तों को लेकर अक्सर पड़ोसियों से विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे में उनके पंजीकरण के लिए पड़ोसी की सहमति लेना आवश्यक होगा।
शहर में कुत्ते की वजह से पड़ोसियों में विवाद के मामले अक्सर सामने आते हैं। कभी-कभी बात इतनी बढ़ जाती है कि थाने में मुकदमा लिखाने तक की नौबत आ जाती है। पिछले दिनों शहीद नगर में इलाके में पड़ोसी के कुत्ते से परेशान एक युवक ने कुत्ते को गोली मार दी थी। यह घटना सीसीटीवी में कैद में होने के बाद मामला थाने तक पहुंचा तो मुकदमा हुआ था। फतेहाबाद रोड पर एक पड़ोसी द्वारा तंग आकर कुत्ते के ऊपर गाड़ी चढ़ाने का मामला भी चर्चा का विषय बना था।
एक अनुमान के मुताबिक शहर में करीब 30 हजार से अधिक पालतू कुत्ते हैं। इसके अलावा लोग घरों में बिल्ली, खरगोश, तोता, कबूतर आदि पालते हैं। शहर में कुत्तों की बिक्री और उनके लिए बनने वाले उत्पादों का कारोबार बढ़ रहा है।
साभार- एबीपी न्यूज
नगर निगम के बैकफुट पर जाने का भी दावा
आगरा। इस बीच कुछ लोगों द्वारा यह दावा भी किया जा रहा है कि पालतू जानवर पालने से पहले नगर निगम में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पड़ोसी की अनापत्ति मामले में अब नगर निगम पीछे हटने को तैयार है।
कुछ एनजीओ ने जब इस विषय पर एडब्ल्यूबीआई (एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया) व फिआपो (फैडरेशन ऑफ इंडियन एनीमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन) में आपत्तियां दर्ज कराई तो इन संस्थाओं ने नगर निगम से सम्पर्क साधा। इसके बाद से निगम बैकफुट पर है।
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