अचानक एसएन इमरजेंसी पहुंचे डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, डॉक्टरों में हड़कम्प
आगरा, 14 मई। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक आज दोपहर को अचानक एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में पहुंचे। इससे डॉक्टरों में हड़कंप मच गया। इस दौरान इमरजेंसी के बाहर बैठे हुए कई मरीजों से डिप्टी सीएम ने इलाज के बारे में जानकारी ली।
डिप्टी सीएम पाठक मथुरा जिले में आज एक कार्यक्रम में शिरकत करने आये थे। वापसी में उन्हें आगरा एयरपोर्ट से जाना था। इससे पहले वह एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में पहुंच गए और बाहर बरामदे में बैठे हुए मरीजों से बातचीत शुरू कर दी।
डिप्टी सीएम को एक बुजुर्ग ने बताया कि वह दवाई लेने आए हैं। पाठक ने पूछा कि सुबह कितने बजे यहां पर आए थे तो बुजुर्ग ने कहा कि वह 11 बजे यहां पर आए थे, लेकिन उन्हें अभी तक दवाई नहीं मिली है। मौके पर एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल भी पहुंच गए। डिप्टी सीएम ने प्रिंसिपल को इशारा किया और बुजुर्ग की परेशानी जानने को कहा। बुजुर्ग ने बताया कि उनका मरीज अंदर भर्ती है, लेकिन अभी तक उसको दवा नहीं मिली है। जिस पर प्रिंसिपल ने डिप्टी सीएम से कहाकि मरीज का इलाज चल रहा होगा, इसलिए उसे दवा नहीं दी गई।
बरामदे में ही बैठे एक अन्य युवक से उपमुख्यमंत्री ने पूछा कि आप यहां पर क्यों आए हैं तो उसने बताया कि उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है उसका इलाज चल रहा है। डिप्टी सीएम ने पूछा, “क्या आप इलाज से संतुष्ट हैं” युवक ने कहा, 'नहीं, मैं संतुष्ट नहीं हूं। अभी मेरे पैरों में सूजन है लेकिन फिर भी मुझसे कह दिया गया कि आप घर चले जाइए और घर से ही अपनी दवाई लेना।' डिप्टी सीएम ने संबंधित डॉक्टर को बुलाया और डॉक्टर से पूछा कि मरीज को परेशानी दूर होने से पहले ही क्यों डिस्चार्ज कर दिया गया। इस पर डॉक्टर कोई भी जवाब नहीं दे पाए। पाठक ने निर्देश दिए कि मरीज को जल्द भर्ती किया जाए और उसका पूर्ण इलाज किया जाए।
उपमुख्यमंत्री ने बरामदे में खड़ी कई महिलाओं और पुरुषों से भी पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके मरीज अंदर भर्ती हैं, जिन्हें देखने वह यहां पर आए हैं। इसके बाद डिप्टी सीएम एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी के अंदर चले गए।
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक की कार्यशैली इन दिनों चर्चाओं में हैं। पदभार संभालने के बाद से ही वह स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली परखने के लिए किसी भी सरकारी अस्पताल में बिना बताए पहुंच जाते हैं और वहां खड़े हुए फरियादियों व मरीजों से पूछताछ करने लगते हैं।
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