ताजमहल: अब एएसआई व एडीए अफसरों के खिलाफ याचिका

उर्स के दौरान गलत निर्णय से धरोहर को नुकसान  का आरोप
सीजेएम ने सुनवाई के लिये 16 जून की तिथि तय की
आगरा, 24 मई। ताजमहल को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं। पिछले दिनों ताजमहल के 22 कमरों को खुलवाने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। जिसे खारिज कर दिया गया। अब ताजमहल के रखरखाव में हुए नुकसान को लेकर आज यहां सीजेएम की अदालत में याचिका दाखिल की गई है। इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और आगरा विकास प्राधिकरण के अफसरों को आरोपी बनाया गया है। याची ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के आदेश देने की मांग की है।
स्थानीय निवासी उमेशचंद वर्मा द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना-पत्र पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रदीप कुमार सिंह ने  याचिका पर 16 जून की तारीख नियत की है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि विगत फरवरी-मार्च माह में मुगल बादशाह शाहजहां के तीन दिवसीय उर्स के दौरान ताजमहल में लाखों की अनियंत्रित भीड़ ने प्रवेश किया और वहां की सुंदरता एवं सुरक्षा को तार-तार करते हुए फूल-पौधों, फौवारों, जाली व रेलिंग आदि को नुकसान पहुंचाया। पुरातत्व विभाग और एडीए के अधिकारियों की नाकामी के चलते यह सारी अव्यस्थाएं हुईं। याचिका में महानिदेशक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल और आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डा. राजेंद्र पैंसिया को आरोपी बनाया गया है। 
नाई की मंडी के धाकरान निवासी उमेश चंद वर्मा सिटीजन फोरम संस्था के अध्यक्ष हैं। संस्था शहर के सतत विकास, पर्यावरण रक्षा एवं प्राचीन स्मारकों के संरक्षण के लिए लोगों में सामाजिक चेतना विकसित करने का कार्य करती है। उमेश चंद वर्मा ने अपने अधिवक्ता मोती सिंह सिकरवार के माध्यम से सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना-पत्र पेश किया। 
प्रार्थना-पत्र के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को दरकिनार कर ताजमहल पर शाहजहां का 367वां तीन दिवसीय उर्स 27-28 फरवरी एवं एक मार्च 2022 को आयोजित किया गया। उर्स के लिए ताजमहल में अकीदतमंदों के प्रवेश को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने निःशुल्क कर दिया। इस कारण ताजमहल में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, जिसमें अकीदतमंद कम सैलानी ज्यादा पहुंच गए। भीड़ ने ताजमहल की सुरक्षा व्यवस्था और सुंदरता को तार-तार कर दिया। भीड़ ने सीआईएसएफ के जवानों से भी बदसलूकी की। 
वादी का आरोप है कि अधीक्षण पुरातत्वविद के एक गलत फैसले से ऐतिहासिक इमारत को भारी क्षति पहुंची। तीन दिन तक ताजमहल को निःशुल्क कर सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की हानि भी पहुंचाई गई।



ख़बर शेयर करें :

Post a Comment

0 Comments