दस लाख की जेनेरिक दवायें हो गईं एक्सपायर
आगरा, 11 मई। शहर के चार प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों पर लगभग दस लाख रुपये लाख की दवाएं एक्सपायर हो चुकी हैं। इसके पीछे कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन, करीब दस महीने बंद रही ओपीडी के अलावा चिकित्सकों की जेनेरिक दवाएं न लिखने की मनमानी बड़ा कारण है।
गौरतलब है कि एक दिन पूर्व ही जेनेरिक दवायें न लिखने के कारणों और इससे मरीजों को होने वाली आर्थिक परेशानी को "न्यूज-नजरिया" ने उजागर किया था। चिकित्सकों द्वारा कमीशन के लालच में जेनेरिक दवायें न लिख कर ब्रांडेड दवाओं को लिखा जाता है, इससे मरीजों की जेब पर पांच गुना तक भार पड़ता है। जन औषधि केंद्रों की निगरानी करने वाली एजेंसी ने चिकित्सकों की मनमानी की शिकायत कई बार शासन से की है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
जानकारों का कहना है कि कोरोना काल में दस महीने ओपीडी बंद रहने के कारण मरीज अस्पतालों में नहीं पहुंचे। ऐसे में हर स्टोर पर रखी दवाएं एक्सपायर हो गईं। जबकि
दस महीने तक केंद्रों के फार्मासिस्टों और कर्मचारियों को लगभग 80 लाख रुपये वेतन दिया। केंद्रों पर अब क्रेडिट पर दवाएं मिलना बंद हो गई हैं। समय से दवाओं की आपूर्ति नहीं हो पाती है। चिकित्सक लाख निर्देशों के बाद भी जेनेरिक दवाएं नहीं लिखते हैं। दवाएं केंद्रों पर रखी रह जाती हैं।
शहर में सरकारी जन औषधि केंद्र लेडी लायल अस्पताल, जिला अस्पताल, मानसिक आरोग्यशाला और एसएन मेडिकल कालेज में हैं। इनकी निगरानी की जिम्मेदारी लखनऊ की स्टेट एजेंसी फार काम्प्रीहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) दी गई है। साचीज ने इसके लिए मंडल बांटे। मंडलों में एजेंसियों को केंद्र खोलने और संचालित करने की जिम्मेदारी दी गई।
हर केंद्र पर हर महीने लगभग दो लाख की दवाओं की मांग फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो आफ इंडिया (पीएमबीआई) के पास भेजी जाती है। पीएमबीआई केंद्रों को दवाएं उपलब्ध कराता है। शहर के चार केंद्रों में सबसे ज्यादा बिक्री मानसिक आरोग्यशाला के बाहर खुले केंद्र पर होती है। यहां रोजाना लगभग बीस हजार रुपये की बिक्री होती है।
चिकित्सकों द्वारा जेनेरिक दवाएं न लिखने की शिकायत कई बार शासन की गई है। शासन से चिकित्सकों को स्पष्ट दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं कि वे मरीजों को जेनेरिक दवाएं ही लिखकर दें। शासन द्वारा की जाने वाली सख्ती का असर कुछ ही दिन दिखाई देता है। उसके बाद चिकित्सक फिर से ब्रांडेड दवाएं ही लिखना शुरू कर देते हैं।
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