लगातार बैठना घटायें तो बीपी, शुगर का खतरा कम

नई दिल्ली। वैज्ञानिकों का मानना है कि लगातार बैठे रहने के समय में अगर कमी लाई जाए, तो लाइफस्टाइल की बीमारियों जैसे बीपी-शुगर आदि का खतरा कम हो सकता है। 
एक ताजा अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा है कि रोजाना अगर बैठने के समय में एक घंटे की भी कटौती की जाए और हल्का-फुल्का व्यायाम किया जाए, तो जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को काफी हद तक रोका जा सकता है।
फिनलैंड स्थित तुर्कू पीईटी सेंटर और यूकेके इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने अपना अध्ययन इस बात पर केंद्रित किया कि क्या बैठने का समय कम करके और व्यायाम के जरिए शारीरिक लाभ हासिल किया जा सकता है? अध्ययन में हिस्सा लेने वालों में टाइप-2 डायबिटीज और दिल के मरीजों के साथ-साथ शारीरिक रूप से निष्क्रिय वयस्क भी शामिल थे।
शोधकर्ताओं ने  दो समूहों की तुलना की, एक इंटरवेंशन ग्रुप जिसे खड़े होने और हल्की-तीव्रता वाली फिजिकल एक्टिविटी के जरिए रोजाना अपने बैठने के समय को एक घंटे तक कम करने के लिए कहा गया था और दूसरा कंट्रोल ग्रुप जिसे उनकी सामान्य आदतों और नॉन एक्टिव लाइफस्टाइल को बनाए रखने का निर्देश दिया गया था।
यूनिवर्सिटी ऑफ तुर्क की शोधकर्ता तारू गर्थवेट के अनुसार, 'इस अध्ययन में शामिल दोनों ग्रुप्स के पार्टिसिपेंट्स की फिजिकल के एक्टिविटी का तीन महीने तक एक्सेलेरोमीटर से रेगुलर आकलन किया गया। पूर्व की स्टडीज में एक्टिविटी को आमतौर पर शुरुआत और अंत केवल कुछ दिनों के लिए आकलित किया जाता था।
इससे लंबी समयावधि में वास्तविक व्यवहार परिवर्तनों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना संभव हो जाता है, शोधकर्ताओं ने पाया कि इंटरवेंशन ग्रुप के हल्के और मध्यम तीव्रता वाली फिजिकल एक्टिविटी की मात्रा में वृद्धि करके, प्रति दिन औसतन 50 मिनट तक नॉन-एक्टिव टाइम को कम करने में कामयाब रहा।
तीन महीने की अवधि में, शोधकर्ताओं ने इंटरवेंशन ग्रुप में ब्लड सुलेशन, इंसुलिन संवेदनशीलता और लिवर की सेहत से संबंधित स्वास्थ्य परिणामों में लाभ देखा।
आजकल के लाइफस्टाइल में काम के लंबे घंटों की वजह से काफी देर तक सीट पर बैठे रहना पड़ता है। जिससे की काफी देर तक शरीर नॉन-एक्टिव पोजिशन में रहता है।

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