ताजमहल के बंद कमरे खुलवाने की याचिका खारिज
हाईकोर्ट ने कहा, पहले यूनिवर्सिटी जाएं, शोध करें, तब कोर्ट आएं
आगरा, 11 मई। ताजमहल के तहखाने में बने बीस कमरों को खोलने की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दी है। इससे पहले आज दोपहर 12 बजे सुनवाई शुरू करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार भी लगाई।
जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ने कहा कि याचिकाकर्ता पीआईएल व्यवस्था का दुरुपयोग न करे। पहले यूनिवर्सिटी जाए, शोध करे, तब कोर्ट आए। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई रिसर्च करने से रोके, तब हमारे पास आना। उन्होंने कहा कि कल को आप आएंगे और कहेंगे कि आपको जजों के चैंबर में जाना है, तो क्या हम आपको चैंबर दिखाएंगे? इतिहास आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा।
जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय व जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने आज अपराह्न सवा दो बजे लंच के बाद मामले की पुनः सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। याचिका अयोध्या के डॉ. रजनीश सिंह ने दायर की थी। याचिका में इतिहासकार पीएन ओक की किताब "ताजमहल" का हवाला देते हुए दावा किया गया कि ताजमहल वास्तव में तेजोमहालय है, जिसका निर्माण 1212 एडी में राजा परमार्दी देव ने कराया था।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि आप एक समिति के माध्यम से तथ्यों की खोज की मांग कर रहे हैं, आप कौन होते हैं, यह आपका अधिकार नहीं है और न ही यह जनसूचना अधिनियम के दायरे में है। बेंच ने कहा, “हमारी राय है कि याचिकाकर्ता ने पूरी तरह से गैर-न्यायसंगत मुद्दे पर फैसला देने की मांग की है। इस अदालत द्वारा इन याचिकाओं पर फैसला नहीं किया जा सकता है।
याचिकाकर्ता रजनीश सिंह के वकील ने कहा कि देश के नागरिकों को ताजमहल के बारे में सच बताने की जरूरत है। याचिकाकर्ता ने कहा- मैं कई आरटीआई लगा चुका हूं। मुझे पता चला है कि कई कमरे बंद हैं और प्रशासन की ओर से बताया गया कि ऐसा सुरक्षा कारणों की वजह से किया गया है।
इसके जवाब में यूपी सरकार के वकील ने कहा कि इस मामले में आगरा में पहले से ही मुकदमा दर्ज है और याचिकाकर्ता का इस पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। वहीं याचिकाकर्ता ने कहा कि मैं इस तथ्य पर बात ही नहीं कर रहा कि वह जमीन भगवान शिव से जुड़ी है या अल्लाह से। मेरा मुख्य मुद्दा वो बंद कमरे हैं और हम सभी को जानना चाहिए कि आखिर उन कमरों के पीछे क्या है।
अदालत ने पूछा कि आप किससे सूचना मांग रहे हैं? इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रशासन से। इस पर कोर्ट ने कहा- अगर वो कह चुके हैं कि सुरक्षा कारणों से कमरे बंद हैं तो वही सूचना है। अगर आप संतुष्ट नहीं हैं तो इसको चुनौती दीजिए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि मुझे थोड़ा वक्त दें, मैं इस पर कुछ फैसले दिखाना चाहता हूं। इस पर अदालत ने कहा कि यह याचिका मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है और अब आप ये सब कर रहे हैं। इस मुद्दे पर आप मेरे घर आइए और हम इस पर बहस करेंगे लेकिन अदालत में नहीं।
Post a Comment
0 Comments