ताजमहल के बीस बन्द कमरे खोलने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका

आगरा, 08 मई। ताजमहल का विवाद धीरे-धीरे गरमाने लगा है। पिछले दिनों अयोध्या के सन्त के ताज में प्रवेश को लेकर विवाद बढ़ा था, जिसे प्रशासन ने सूझबूझ से टाला। अभी यह मामला शांत नहीं हो पाया था कि अयोध्या के भाजपा के जिला प्रवक्ता ने ताजमहल को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी है। याचिका में ताजमहल के बीस बन्द कमरों को खोलने का आदेश दिये जाने की मांग की गई है।
अयोध्या के अधिवक्ता डा. रजनीश सिंह भारतीय जनता पार्टी के जिला प्रवक्ता है। उनकी ओर से लखनऊ बैंच में याचिका दायर की गई है। याचिका में ताजमहल को शिव मंदिर तेजो महालय बताते हुए इसके बीस बंद कमरों को खोलने के निर्देश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को देने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता की ओर से सरकार को तथ्य खोज समिति गठित करने के निर्देश देने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि ताजमहल परिसर का सर्वेक्षण जरूरी है, जिससे शिव मंदिर होने और ताजमहल होने की वास्तविकता का पता लगाया जा सके।
महल होने की वास्तविकता का पता लगाया जा सके। समिति इन कमरों की जांच करे और स्थिति स्पष्ट हो सके कि वहां हिंदू मूर्तियां या धर्मग्रंथों से संबंधित सबूत है या नहीं। याचिका में कुछ इतिहासकारों का हवाला भी दिया गया है। कहा गया है कि ताजमहल की चार मंजिला इमारत के ऊपरी और निचले हिस्से में 22 कमरे हैं, जो स्थायी रूप से बंद हैं। इतिहासकार पीएन ओक और कई इतिहासकारों का मानना है कि उन कमरों में शिव का मंदिर है।
ताजमहल को लंबे समय से हिंदूवादी संगठन तेजोमहल होने का दावा कर रहे हैं। कई हिंदवादी संगठनों की ओर से सावन में ताजमहल में शिव आरती करने का प्रयास भी किया गया है। पिछले दिनों जगदगुरु परमहंसाचार्य ने ताजमहल को तेजो महल होने का दावा करते हुए अंदर शिव पूजा करने की बात कही थी। ऐसे में उनके प्रवेश को लेकर भी काफी विवाद हुआ। पुलिस ने उन्हें ताजमहल में प्रवेश करने से रोक दिया था। उन्हें कीठम स्थित गेस्ट हाउस में नजरबंद रखा गया। बाद में उन्हें पुलिस अभिरक्षा में अयोध्या वापस भेज दिया था। 

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