बच्चों को पांच घण्टे स्कूल लैब में बैठने की सजा
प्राचार्य व दो शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
मुंबई, 06 अप्रैल। स्कूल प्रबंधन की मनमानी किस कदर हावी है, इसका प्रमाण देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई में भी देखने को मिल रहा है। यहां एक
स्कूल ने फीस बकाया होने पर 15-20 बच्चों को पाँच घण्टे लैब बैठने की सजा दी। एक छात्रा के पिता ने इसकी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने स्कूल के प्राचार्य व दो शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।
मामला मुंबई के कांदिवली (पश्चिम) के कपोल विद्यानिधि इंटरनेशनल स्कूल का है। शिकायतकर्ता व अन्य अभिभावकों ने कोरोना काल के दौरान वर्ष 2020-21 व 2021-22 में जब स्कूल बंद थे, उस दौरान फीस वसूली को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में पिछले माह केस दायर किया। इससे स्कूल प्रबंधन खफा है।
एफआईआर कराने वाले छात्रा के पिता ने मुंबई पुलिस को बताया कि उनकी 14 साल की बेटी कक्षा नौवीं में पढ़ती है। वह नए शिक्षण सत्र के पहले दिन एक अप्रैल को सुबह 7.30 बजे स्कूल गई थी। कक्षा अध्यापक ने उसे व एक अन्य छात्रा को एचओडी से मिलने को कहा। एचओडी ने दोनों छात्राओं को फिजिक्स लैब में बैठने का निर्देश दिया। इसके बाद कक्षा नौवीं व दसवीं के कुछ अन्य विद्यार्थी लैब में भेजे गए। उनमें से कुछेक को तो परीक्षा में बैठने दिया गया, जबकि 10-15 को वहीं बैठने को कहा गया।
इसके बाद प्राचार्य लैब में आए और उन्होंने विद्यार्थियों से बात की। दोपहर करीब एक बजे तक इन बच्चों को लैब में ही बैठाकर रखा गया। शिकायतकर्ता ने कहा है कि स्कूल का यह भेदभावपूर्ण व्यवहार है और इससे उनकी बच्ची को मानसिक प्रताड़ना हुई।
कांदिवली पुलिस ने स्कूल के प्राचार्य रेशमा हेगड़े व दो शिक्षकों के खिलाफ किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून 2015 के तहत केस दर्ज किया है। जांच के बाद मामले में आगे कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में स्कूल प्रबंधन या प्राचार्य की प्रतिक्रिया नहीं मिली।
महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि फीस संबंधी विवादों को लेकर बच्चों के साथ गलत व्यवहार करने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि कोरोना काल में स्कूल बंद रहने व इस दौरान आनलाइन पढ़ाई होने के बाद भी देशभर के निजी स्कूलों द्वारा फीस वसूली को लेकर कई मामले सामने आए हैं। इस लेकर कई राज्यों में हाईकोर्ट में केस दायर किए गए हैं।
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