याद रहेगी शेन वार्न की ताजमहल में मस्ती और ऑस्ट्रेलियाई टीम का आगरा दौरा

फरवरी 1996 में ताजमहल के दीदार के दौरान तत्कालीन टूर गाइड स्व.कुलदीप नारायण से इतिहास की जानकारी लेते ऑस्ट्रेलियाई टीम के सदस्यगण। साथ हैं वरिष्ठ पत्रकार संजय तिवारी और अशोक सिंह।

आगरा, 04 मार्च। ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज क्रिकेटर और महान लेग स्पिनर शेन वॉर्न का 52 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। थाईलैंड में गुरुवार की शाम उनकी मौत हुई। शेन वॉर्न के निधन पर खेल जगत की हस्तियां काफी हैरान हैं। जानकारी के मुताबिक शेन वॉर्न अपने विला में मौजूद थे और उन्हें वहां अचेत पाया गया। 

वर्ष 1996 में आस्ट्रेलियाई टीम भारत दौरे के दौरान अवकाश के पलों में आगरा में ताजमहल का दीदार करने आई थी। उस समय इस संवाददाता को शेन वार्न सहित टीम के प्रमुख खिलाड़ियों से वार्ता करने का अवसर मिला था। आज उनके आकस्मिक निधन के समाचार ने पुरानी यादें फिर से ताजा कर दीं। यूं तो पूरी टीम रिलेक्स मूड में थी और तत्कालीन जाने-माने गाइड कुलदीप नारायण (अब स्वर्गीय) से ताज के इतिहास को पूरी तल्लीनता से सुन रही थी। लेकिन शेन वार्न अलग ही मस्ती के मूड में थे। भ्रमण के दौरान ही अमर उजाला के लिए कार्य करते हुए इस संवाददाता ने टीम के प्रमुख खिलाड़ियों से क्रिकेट को लेकर भी सवाल-जवाब कर लिए थे।

शेन वार्न का भारत से रिश्ता बेहद दिलचस्प रहा। नब्बे के दशक में सचिन तेंदुलकर के साथ उनकी टक्कर क्रिकेट इतिहास की शानदार यादों में से एक रहेगी। रिटायर होने के बाद ललित मोदी उन्हें आईपीएल में खेलने के राजी करने कामयाब हुए। राजस्थान रॉयल्स की कप्तानी ने एक बार फिर वार्न को पूरी दुनिया के सामने अपने एक और हुनर और क्रिकेट की सूझबूझ को दिखाने का मौका दिया। साधारण शुरुआत के बाद उनकी टीम ने चाहने वालों को निराश नहीं किया। वो भले ही दुनिया की नज़र में बहुत बड़े सुपरस्टार थे लेकिन रॉयल्स की कामयाबी ने दिखाया कि टीम से बड़ा कोई नहीं। आईपीएल में रॉयल्स की कामयाबी उनके करियर का बेहद यादगार लम्हा है।

क्रिकेट की प्रतिष्ठित किताब विजडन ने सदी के पांच महानतम खिलाड़ियों का चुनाव किया तो वार्न इकलौते ऐसे खिलाड़ी थे जो नब्बे के दशक का प्रतिनिधित्व करते थे। सचिन तेंदुलकर को भी इस सूची में जगह नहीं मिली थी। आप इसी बात से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि वार्न आखिर क्रिकेट इतिहास में क्या हस्ती रखते थे। आज शेन वार्न हमारे बीच नहीं हैं लेकिन क्रिकेट दुनिया के जिस मैदान पर भी खेला जाएगा, वार्न की लेग स्पिन की चर्चा जरूर होगी। हर कोई वार्न की तरह एक जादुई गेंदबाज तो नहीं बन सकता लेकिन उनके जीवन से प्रेरणा जरूर ले सकता है।

महान स्पिनर शेन वॉर्न ने वर्ष 1993 के एशेज के दौरान मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट में इंग्लैंड के माइक गेटिंग को जिस गेंद पर बोल्ड किया था, उसे क्रिकेट इतिहास की सर्वश्रेष्ठ गेंद कहा जाता है। उस गेंद ने वॉर्न की जिंदगी बदल कर रख दी थी। वॉर्न ने कलाई की जादूगरी से अपने समय के लगभग सभी दिग्गजों को अपनी फिरकी के जाल में फंसाया। वॉर्न ने अपने 145 मैचों के टेस्ट करियर में 708 विकेट चटकाए, जो मुथैया मुरलीधरन (800 विकेट) के बाद टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक हैं। दुनिया के लिए वार्न सबसे कामयाब लेग स्पिनर या यूं कहें क्रिकेट इतिहास के सबसे कामयाब स्पिनर के तौर पर जाने जाएंगे।

हर कोई जानता है कि उनकी क्रिकेट की समझ काफी गहरी थी और वे इस खेल से जूनून की हद तक जुड़े थे। बावजूद इसके उन्हें कभी भी ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम की कप्तान नहीं दी गई। कहा गया कि मैदान के बाहर खबरों में बने रहना इसकी सबसे बड़ी वजह थी। शेन वार्न को ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी न मिलने का बेहद अफसोस रहा लेकिन कभी भी उन्होंने अपने खेल पर इसका असर पड़ने नहीं दिया।





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