जानिये, बजट पर क्या बोले कर विशेषज्ञ, उद्यमी और व्यापारी
आगरा, एक फरवरी। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में आज मंगलवार को प्रस्तुत किये गये आम बजट को लेकर कर विशेषज्ञों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया जताई। दूसरी ओर उद्यमियों और व्यापारियों ने बजट को घोर निराशाजनक बताया। पर्यटन जगत तो बुरी तरह छला हुआ महसूस कर रहा है। यहां प्रस्तुत हैं कर विशेषज्ञों व व्यापारियों के कुछ विचार।
जनमानस की अपेक्षा के अनुरूप नहीं
बजट जनमानस की अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा। हर बार की तरह इस बार भी मध्यवर्ग जो बीमारी एवं महंगाई से जूझ रहा है उसे मायूसी हुई। आयकर छूट बढ़ना, मकान के लोन में ब्याज की छूट सीमा बढ़ना, मेडिक्लेम पालिसी पर दिये जाने वाले प्रीमियम की लिमिट बढ़ना, वेतनभोगी करदाता के लिए मानक कटौती को बढ़ाना जैसी रियायतें नहीं मिल पाईं। पर्यटन उद्योग भी मायूस रह गया। बजट में डाकखानों को कोर बैंकिंग से जोड़ने की घोषणा सराहनीय है इससे सभी खाताधारकों को लाभ मिलेगा। क्रिप्टोकरेंसी को टैक्स के दायरे में लाना अच्छा कदम है। जीएसटी में किसी वितीय वर्ष से सम्भावित इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम की अवधि बढ़ाकर 30 नवंबर किया जाना व्यापारियों के हित में है। रियल एस्टेट सेक्टर को मंदी से उबारने के लिए भी कोई घोषणा नहीं की गई। कुल मिलाकर बजट जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। -रोहित दुआ, पूर्व अध्यक्ष एसोसिएशन ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट आगरा शाखा।
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महँगाई नियंत्रित करने के उपाय नहीं
इस बजट से व्यक्तिगत स्तर पर राहत की बहुत उम्मीद थी, उसमें निराशा हाथ लगी। किसी भी तरह का सीधा लाभ नहीं दिया गया। कच्चे माल पर बढ़ी हुई महँगाई से बुरी तरह प्रभावित एमएसएमई सेक्टर को कोई राहत नहीं दी गई। महँगाई को नियंत्रित करने के बारे में कोई ठोस उपाय नहीं दिखाई दिये। बैंक ब्याज दरों पर भी से कोई राहत नहीं दी गई। जीएसटी दरों के स्लैब पांच से हटाकर तीन किये जाने की उम्मीद थी, वह भी पूरी नहीं हुई। राजमार्गों, रेलवे, कृषि, मालभाड़े और हरित ऊर्जा के विकास की योजनाओं पर फोकस करना सरकार का सही कदम हैं। - चरनजीत थापर व्यापारी नेता।
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मध्यम वर्ग के लिए कुछ भी नहीं
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बजट में मध्यम वर्ग के लिए कुछ भी नहीं दिया है। व्यापारी वर्ग को उम्मीद थी कि सरकार उनके उत्थान के लिये कुछ करेगी। वर्तमान में जो मध्यम एवं सूक्ष्म उद्योग मरणासन्न स्थिति में पहुंच गए हैं, उन्हें कुछ संजीवनी देने की बहुत अधिक जरूरत थी। सरकार ने बजट में इस सेक्टर को उबारने का कोई प्रयास नहीं किया। - संजय गोयल, पूर्व उपाध्यक्ष, नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एन्ड कॉमर्स आगरा
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पर्यटन के लिहाज से बजट निराशाजनक
पर्यटन उद्योग की दृष्टि से मोदी सरकार का वर्तमान बजट सिर्फ़ बाबा जी का ठुल्लु है। पिछले वर्षों में भी आगरा को मोदी सरकार में सिर्फ़ झुनझुना ही मिलता रहा है। पर्यटन व्यवसाइयों के लिए आवंटित पांच लाख करोड़ की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम की लोन योजना भी सिर्फ़ जुमला है क्योंकि वर्तमान में विषम बैंकिंग नियमों के कारण किसी भी उद्यम को लोन नहीं मिल रहा है। बंद पर्यटन उद्योगों द्वारा ब्याज न दे पाने की असमर्थता के कारण कोई भी लोन लेने की चेष्टा नहीं कर रहा है। समझ से परे है कि जो उद्योग जीडीपी में दस प्रतिशत का योगदान करता है और लगभग पन्द्रह प्रतिशत मानव संसाधन का उपयोग करता है उसे सरकार क्यों नज़रंदाज़ करती है। आगरा सिविल टर्मिनल, शिवाजी म्यूजियम, साउंड व लाइट शो, आगरा बैराज व अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम फिर अटके व लटके रह गये हैं। -राजीव सक्सेना, उपाध्यक्ष, टूरिज्म गिल्ड, आगरा।
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नौ वर्षों से पर्यटन के लिये बजट में कुछ नहीं
बजट देखकर ऐसा लग रहा है, जैसे केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पर्यटन के बारे में बिल्कुल जानकारी नहीं है। नौ वर्षों से पर्यटन को बजट में कुछ नहीं मिल रहा है। देश की जीडीपी में करीब 10 प्रतिशत का योगदान देने वाले उद्योग को बिल्कुल भुला दिया गया है। अब तो पर्यटन उद्योग के पनपने की भी उम्मीद खत्म हो चली है। यह निराशाजनक स्थिति है। -रमेश वाधवा, अध्यक्ष होटल एंड रेस्टोरेंट आनर्स एसोसिएशन
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बजट में रोजगार पर जोर
वित्तमंत्री ने इस बजट से अगले 25 सालों की बुनियाद रखी है। उन्होंने किसान, रोजगार, मकान और शिक्षा आदि के संबंध में कई बड़ी घोषणाएं की हैं, लेकिन इस बार आयकर में कोई छूट नहीं दी गई है। दिव्यांग के माता-पिता को टैक्स में छूट सराहनीय कदम है। बिटकॉइन से निपटने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया 2022-23 में लागू करेगा। अब क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर 30 फीसदी टैक्स लगा दिया गया है और इसके अलावा वर्चुअल करेंसी पर एक प्रतिशत टीडीएस भी लगेगा, यह उचित कदम है। - सीए दीपिका मित्तल, सचिव सीए इंस्टिट्यूट, आगरा----------
बजट में कुछ भी ऐसा नहीं है जिसे रेखांकित किया जा सके। विशेष तौर पर उद्योग के क्षेत्र को कोरोना के बाद जिस राहत की उम्मीद थी, कहीं भी पूरी नहीं हुई। व्यापार जगत के हाथ खाली के खाली रह गए हैं। पर्यटन उद्योग को भी पूरी तरह अनदेखा किया गया है।
कुल मिलाकर आम बजट आम ही रह गया है। -ब्रजेश पंडित, जिला महामंत्री, फेडरेशन ऑफ आल इंडिया व्यापार मंडल
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बजट में व्यापारियों के लिए कोई राहत नहीं दी गई है। आयकर की लिमिट न बढ़ाया जाना अदूरदर्शिता का परिचायक है। व्यापारी कोरोना से पीड़ित होने के बाद बचत नहीं कर पा रहा है फिर भी उसे कोई रियायत नहीं दी गई है। जीएसटी की दरों में परिवर्तन करने के लिए भी कुछ न कुछ किया जाना चाहिए था, मगर यह कह देना कि जूते-चप्पल सस्ते होंगे और बिना किसी योजना के इस बात को हाईलाइट करना यह बताता है कि अभी इस बारे में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। अतः व्यापारी बेहद नाराज है। -गागन दास रामानी, अध्यक्ष, आगरा शू फैक्टर्स फैडरेशन
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