पूरे देश में बिजली की दरें एक क्यों नहीं??
आगरा। नेशनल चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज एन्ड कॉमर्स यूपी की आगरा शाखा ने एक बार देश के सभी राज्यों में बिजली की दरों में एकरूपता लाने की मांग उठाई है।
गुरुवार को यहां जीवनी मंडी स्थित चैम्बर भवन में हुई विद्युत प्रकोष्ठ की बैठक में प्रदेश में विद्युत दरों में वृद्धि के प्रस्ताव पर आपत्ति की गयी और विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन को सुझाव भेजे गए।
चैम्बर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने मांग की कि नए विद्युत टेरिफ ऑर्डर को जन उपयोगी बनाया जाए। पूरे देश में एक ही विद्युत दर लागू होनी चाहिए इससे एक ओर लागत की असमानता दूर होगी और उद्योग सही लागत का उत्पादन दे सकेंगे। जितनी बिजली खर्च हो, उतना ही चार्ज लगना चाहिए।
विद्युत प्रकोष्ठ के चेयरमैन विष्णु भगवान अग्रवाल ने कहाकि फिक्स्ड चार्ज हटाया जाना चाहिए। उपभोक्ता को कनेक्शन कम या ज्यादा करने की छूट होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि लागत पर उचित मुनाफा लेकर बिजली शुद्ध व्यवसाय के आधार पर बेची जानी चाहिए। किसी को भी बिजली बगैर मीटर या मुफ्त नहीं दी जाए और इस नियम में कोई अपवाद नहीं होना चाहिए। यह समस्या वर्षों से लंबित है।
उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण उपभोक्ता का लाइन लॉस का आकलन अलग हो न कि ग्रामीण उपभोक्ता से नुकसान की भरपाई शहरी सूक्ष्म उद्योगों से की जाए। नया कनेक्शन देते समय उपकरणों- मीटर/ट्रांसफार्मर की कीमत डिस्कॉम उपभोक्ता से ले लेती हैं और कनेक्शन कटने पर बगैर किसी मुआवजा दिए ले जाते हैं, जो गलत है। डिस्कॉम सप्लाई कोड की धारा 428 के अनुसार डिस्कॉम सिर्फ डीम्ड ओनर है न कि वास्तविक मालिक। अतः उपकरणों पर उपभोक्ता का ही पूर्ण अधिकार है। यह अधिकार उपभोक्ता को होना चाहिए कि वह डिस्कॉम से मुआवजा ले अथवा उन्हें सामान वापस करे।
विद्युत प्रकोष्ठ के जॉइंट चेयरमैन रविंद्र अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी लगने के बाद इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी लगने का कोई औचित्य नहीं है। खासतौर पर नई इकाई को माफी और पुरानी इकाई पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी लगना उस इकाई के लिए आत्मघाती है।
बैठक में कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को भी उठाया गया। सलाहकार सदस्य देवेंद्र गोयल, उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल व सुनील सिंघल व कोषाध्यक्ष गोपाल खंडेलवाल ने कहा कि कोविड की द्वितीय लहर से उद्योग व व्यवसाय गंभीर स्थिति में है, साथ ही तृतीय लहर की संभावना है जिससे उद्योग और व्यापार और अधिक गंभीर स्थिति में जा सकते हैं। अतः उद्योग व व्यवसाय को बचाने के लिए विद्युत दर बढ़ाने के स्थान पर कम की जाये। यदि कम किया जाना संभव न हो तो प्रचलित दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाये, नहीं तो मृतप्रायः उद्योग बच नहीं सकेंगे।
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