आगरा में मुफ्त वाईफाई सुविधा या ढोल में पोल?

कागजों में स्मार्ट सिटी बन रहे शहर को सुविधा के नाम पर फिर पीटी गई लकीर


आगरा । भले ही हकीकत कुछ और बयां कर रही हो, लेकिन कागजों में आगरा को स्मार्ट सिटी दिखाने वाले नगर निगम ने एक बार फिर मुफ्त वाई-फाई सुविधा के रूप में ढोल में पोल योजना शुरू कर दी है। 
इस सुविधा में पहले दिन से ही कई झोल नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस योजना को शुरू करके नगर निगम भले ही वाह-वाही लूट ले, लेकिन धरातल पर इसका लाभ जनता को बेहद कम मिल पायेगा। इस सुविधा के साथ लागू की गईं कुछ शर्तें इतनी विषम हैं कि लोगों के इससे जुड़ पाने पर अभी से प्रश्नचिन्ह लग रहा है।
मुफ्त वाई-फाई सुविधा का सिलसिलेवार ढंग से आकलन करें तो सबसे पहला मुद्दा है कि यह सुविधा केवल आधा घण्टे के लिए  मुफ्त रहेगी। उसके बाद उपभोक्ता को आधा घंटे, एक घंटे, दो घंटे या एक दिन के लिये क्रमशः 30, 50, 90 और 150 रुपये के प्लान खरीदने होंगे। सवाल यह है कि वर्तमान में सभी प्रमुख कम्पनियां लगभग तीन सौ रुपये में 28 दिन तक रोजाना डेढ़ जीबी डेटा व अन्य सुविधाएं दे रही हैं तो कोई व्यक्ति वाई-फाई के लिये महंगे प्लान क्यों खरीदेगा।

एक ओर फ्री वाईफाई की स्पीड अच्छी रखी गई है जो 50 से 200 एमबीपीएस तक होगी, दूसरी ओर मुफ्त समय केवल आधा घण्टा और डेटा 1.5 जीबी ही है। ऐसे में यदि किसी को मूवी जैसी बड़ी फाइल डाउनलोड करनी होगी तो उसका डेटा पहले ही खत्म हो जायेगा और यदि किसी को धीमी गति से काम करना है तो समय सीमा समाप्त हो जाएगी। दोनों स्थितियों में उपभोक्ता को जेब ढीली करनी पड़ेगी।
नगर निगम के योजनाकारों ने मुफ्त वाईफाई का दायरा शहर के दस चौराहों पर केवल 100 मीटर का रखा है। अतः इस दायरे में आने वाले वेंडर, दुकानदार या फिर रिक्शा व ऑटो चालक ही योजना का लाभ ले सकेंगे। थोड़ी दूरी पर रहने वाले लोग अपने मोबाइल फोन या लैपटॉप लेकर चौराहों के नजदीक आधा घंटे खड़े रहकर अपना काम निपटाने आने से रहे। तो फिर सभी नागरिकों को योजना का लाभ देने का उद्देश्य ही पूरा नहीं हो पायेगा।
निगम के अनुसार हर पांच सौ मीटर पर वाई-फाई कनेक्शन होगा। ऐसी स्थिति में एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर जा रहे उपभोक्ता को बीच के तीन सौ मीटर में सुविधा से वंचित होना पड़ेगा। बार-बार कनेक्शन टूटना झुंझलाहट भरी कवायद हो सकता है।

नगर आयुक्त का यह भी कहना है कि औसतन तीन सौ यूजर के हिसाब से दस हॉटस्पॉट पर केवल तीन हजार लोग ही इंटरनेट इस्तेमाल कर पायेंगे। विचारणीय पहलू यह है कि आगरा जैसी बड़ी आबादी वाले शहर में केवल तीन हजार लोगों को आधे घण्टे के लिये मुफ्त सुविधा देकर नगर निगम क्या वाह-वाही लूटना चाहता है।
मुफ्त वाई-फाई के लिये उपभोक्ताओं को केवाईसी की डिटेल भी देनी होगी। यह किस तरह भरी जाएगी अभी स्पष्ट नहीं है। केवल आधारकार्ड नम्बर देना है या अन्य विवरण भी देना होगा, अभी पता नहीं है। यदि उपभोक्ता से विवरण मांगे जाते हैं तो उन्हें निगम की रिकॉर्ड में रखने के लिए एक टीम लगानी होगी और यह टीम विवरण मिलते ही तुरंत उपभोक्ता को सुविधा प्रदान कर देगी या फिर समय लगेगा, यह भी अभी स्पष्ट नहीं है।
कई प्रमुख संस्थाओं से जुड़े रहे शहर के प्रमुख आईटी विशेषज्ञ अभिषेक अरुण गुप्ता मानते हैं कि इतने बंधनों और सीमित दायरे में रहकर मुफ्त वाईफाई सुविधा का लाभ जनमानस को नहीं मिल पायेगा। नगर निगम यदि जनता को सुविधा देने के प्रति गम्भीर है तो उसे शर्तों में ढील देनी होगी और वाईफाई का दायरा बढ़ाना होगा।

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