डॉ. धर्मपाल के सहारे सीट पक्की करना चाहती है भाजपा !

आगरा। जिले की एत्मादपुर विधानसभा सीट से पूर्व विधायक व पिछले चुनावों में भाजपा विधायक रामप्रताप सिंह के हाथों शिकस्त खाने वाले डॉ. धर्मपाल सिंह के बुधवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाने के साथ ही सियासी पारा चढ़ गया है।
यह तय माना जा रहा है कि डॉ. धर्मपाल सिंह को एत्मादपुर से टिकट देने के वादे के साथ भाजपा अपने साथ लेकर आई है। डॉ. धर्मपाल को जमीन से जुड़ा नेता माना जाता है। हालांकि कभी बसपा कभी सपा, जनमोर्चा या कांग्रेस जैसी पार्टियों से जुड़ाव रहने के कारण उनकी राजनीतिक दलों को लेकर प्रतिबद्धता सवालों के घेरे में रही है, लेकिन मतदाताओं पर उनकी मजबूत पकड़ को देखते हुए राजनीतिक दल इस पहलू को नजरअंदाज ही करते रहे हैं। भाजपा ने इस बार धर्मपाल को अपने साथ जोड़ा तो भी उनकी यही काबिलियत प्रभावी नजर आई। धर्मपाल चाहें सत्ताधारी पार्टी में रहे या विपक्षी दल में, उनका क्षेत्रीय जनता से जुड़ाव हमेशा बना रहा। यही कारण था कि राजनीतिक समीक्षकों को वर्ष 2017 के चुनावों में भी धर्मपाल की जीत तय नजर आ रही थी। लेकिन मोदी लहर ने उनके आकलन को झुठला दिया और भाजपा के राम प्रताप सिंह बड़े अंतर से चुनाव जीतने में सफल रहे।
सवाल उठता है कि इतने जमीनी नेता को हराने वाले रामप्रताप की जगह भाजपा ने उनके ही प्रतिद्वंद्वी धर्मपाल पर अधिक भरोसा क्यों किया तो इसका सीधा सा जवाब यही हो सकता है कि शायद पार्टी नेतृत्व का भरोसा रामप्रताप से डगमगा गया है। सूत्रों का दावा है कि भाजपा को आंतरिक तौर पर कराये गये सर्वे में विधायक रामप्रताप के खिलाफ रिपोर्ट मिली थी। प्रदेश नेतृत्व ने करीब छह माह पहले भी रामप्रताप को उनकी क्षेत्र में कमजोर होती पकड़ के प्रति आगाह किया था। इसके बाद रामप्रताप ने क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ा भी दी थीं। लेकिन पार्टी नेतृत्व में उन्हें लेकर संशय बना रहा।
यह सभी समझ रहे हैं कि भाजपा के लिए विधानसभा चुनावों में बहुमत पाने की राह पिछले चुनावों जैसी आसान नहीं है। पार्टी के समक्ष एक-एक सीट बचाये रखने की चुनौती है। इन हालात में भाजपा हर सीट पर जीत सुनिश्चित करने के सभी पैंतरे अपना रही है। पार्टी सूत्रों ने संकेत भी दे दिया है कि इस बार कम से कम साठ विधायकों की टिकट काटी जा सकती है।
डॉ. धर्मपाल के भाजपा में शामिल होते ही रामप्रताप ने मानो स्वीकार कर लिया कि उनकी टिकट कट रही है और उन्होंने धर्मपाल को पार्टी में लिए जाने को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर कर दी। यही नहीं, विधायक के समर्थकों ने पार्टी के ब्रज क्षेत्र कार्यालय पर पहुंच कर हंगामा भी किया। अनेक कार्यकर्ताओं ने इस्तीफे की भी पेशकश कर दी। विधायक रामप्रताप सिंह का कहना था कि ऐसी क्या मजबूरी रही जो जनमोर्चा, बसपा, कांग्रेस और सपा में रहने वाले को भाजपा में शामिल कराया गया। उन्होंने कहा, 'पार्टी के लिए मेरी तीन पीढ़ियां लगी रही हैं। पार्टी को मैंने मां की तरह माना है, लेकिन कुछ बाहरी लोग मां से बेटे को दूर कर रहे हैं। मुझे कष्ट है कि पार्टी ने अपने मूल कार्यकर्ता को भुला दिया है।'
इस सियासी घटनाक्रम को लेकर दिनभर सोशल मीडिया पर भी चकल्लसों का दौर चलता रहा। एक कयास यह भी लगाया गया कि भाजपा डॉ धर्मपाल को एत्मादपुर की बजाय मैनपुरी या खेरागढ़ से भी चुनाव लड़ा सकती है। यह रामप्रताप सिंह के लिए मामूली राहत देने वाला हो सकता है, लेकिन इस कयास को गम्भीरता से नहीं लिया जा सकता, क्योंकि डॉ धर्मपाल की कर्मभूमि एत्मादपुर रही है और वे इसे बदलने के लिए आसानी से तैयार नहीं होंगे।
इस बीच आगरा के एक पूर्व भाजपा सांसद ने डॉ. धर्मपाल सिंह के भाजपा में शामिल होने का स्वागत किया है। उनके इस कदम को पार्टी की अंदरूनी राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
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