छापे में 29 करोड़ सरेंडर के बाद भी कम नहीं होंगी जूता निर्यातकों की मुश्किलें
आगरा। शहर में जूता निर्यातकों के यहां आयकर छापे की कार्रवाई चार दिन के लंबे अंतराल के बाद शुक्रवार की रात पूरी हो गई। लेकिन इन निर्यातकों की मुसीबत अभी कम होने वाली नहीं है। उन्हें छापे के दौरान जब्त दस्तावेजों के बारे में सिलसिलेवार ढंग से जवाब देना होगा।
सघन जांच के बाद चारों निर्यातकों के पास से करीब 29 करोड़ रुपये की अघोषित आय सरेंडर कराई गई। लेकिन इतना ही काफी नहीं है। चार दिन चली जांच में जब्त किये गए दस्तावेजों की बारीकी से एक-एक बिंदु पर जांच होगी। इस जांच के पूरी होने में तीन-चार माह या अधिक समय लग सकता है। इस प्रक्रिया में इन निर्यातकों को जांच अधिकारियों के समक्ष उपस्थित भी होना पड़ेगा। लम्बी प्रक्रिया से गुजरते हुए आयकर अधिकारी उन पर बनने वाले सही टैक्स की गणना करेंगे और नियमानुसार जुर्माने सहित राजस्व की वसूली होगी।
गौरतलब है कि विगत मंगलवार की सुबह आयकर विभाग ने शहर के तीन जूता निर्यातकों मनु अलघ, विजय आहूजा और मानसी चन्द्रा के आवासीय व व्यवसायिक ठिकानों पर छापेमारी शुरू की थी। अगले दिन विजय आहूजा के साझीदार राजेश उर्फ रूबी सहगल को भी जांच के दायरे में शामिल कर लिया गया। मनु अलघ को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का नजदीकी भी माना जाता है। इसलिये कुछ राजनीतिक लोग इन छापों को राजनीति से जोड़कर भी देख रहे हैं।
विभागीय सूत्रों का दावा है कि इन निर्यातकों के यहां से रियल एस्टेट में काफी निवेश मिला है और कई बोगस कंपनियों का भी पता चला है। हालांकि नकदी कम मिली। कारोबारियों द्वारा जो रिटर्न जमा किए गये हैं, उसमें आय को काफी कम दिखाया गया है, जबकि निवेश काफी अधिक है। विभाग यह जानने की कोशिश कर रहा है कि कहीं इनका विदेश में तो कोई निवेश नहीं है।
विभाग के करीब सौ से अधिक लोगों को इस छापेमारी में लगाया गया था। विभाग की सहायक निदेशक (जांच) आशिमा महाजन ने बताया कि चारों कारोबारियों के यहां छापे की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। अब अगले चरण के रूप में छापे के दौरान जब्त दस्तावेजों की सघन जांच शुरू होगी।
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